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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 101: श्रीराम का विलाप तथा हनुमान्जी की लायी हुर्इ ओषधि के सुषेण द्वारा किये गये प्रयोग से लक्ष्मण का सचेत हो उठना
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श्लोक 50
श्लोक
6.101.50
इत्येवं ब्रुवतस्तस्य राघवस्य महात्मन:।
खिन्न: शिथिलया वाचा लक्ष्मणो वाक्यमब्रवीत्॥ ५०॥
अनुवाद
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राघव महात्मा श्री राम के ऐसा कहने पर शोक संतप्त, खिन्नचित्त लक्ष्मण शिथिल वाणी में धीरे-धीरे वाक्य बोले -।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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