श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 101: श्रीराम का विलाप तथा हनुमान्जी की लायी हुर्इ ओषधि के सुषेण द्वारा किये गये प्रयोग से लक्ष्मण का सचेत हो उठना  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  6.101.48 
 
 
अब्रवीच्च परिष्वज्य सौमित्रिं राघवस्तदा।
दिष्टॺा त्वां वीर पश्यामि मरणात् पुनरागतम्॥ ४८॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण को अपने हृदय से लगाकर श्रीराम ने कहा – ‘वीर! यह बड़े सौभाग्य की बात है कि मैं तुम्हें यमराज के चंगुल से बचकर वापस लौटा हुआ देख रहा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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