श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 101: श्रीराम का विलाप तथा हनुमान्जी की लायी हुर्इ ओषधि के सुषेण द्वारा किये गये प्रयोग से लक्ष्मण का सचेत हो उठना  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  6.101.47 
 
 
एह्येहीत्यब्रवीद् रामो लक्ष्मणं परवीरहा।
सस्वजे गाढमालिङ्गय बाष्पपर्याकुलेक्षण:॥ ४७॥
 
 
अनुवाद
 
  तब शत्रुओं का नाश करने वाले प्रभु श्रीराम ने लक्ष्मण को पास बुलाया। उन्होंने कहा - "आओ, आओ"। ऐसा कहकर उन्होंने लक्ष्मण को अपनी दोनों भुजाओं में भर लिया। उन्हें कसकर गले से लगाया और अपने हृदय के पास रख लिया। उस समय उनके नेत्रों से आँसू बह रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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