श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 101: श्रीराम का विलाप तथा हनुमान्जी की लायी हुर्इ ओषधि के सुषेण द्वारा किये गये प्रयोग से लक्ष्मण का सचेत हो उठना  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  6.101.45 
 
 
सशल्य: स समाघ्राय लक्ष्मण: परवीरहा।
विशल्यो विरुज: शीघ्रमुदतिष्ठन्महीतलात्॥ ४५॥
 
 
अनुवाद
 
  शत्रुओं का संहार करने वाले लक्ष्मण का पूरा शरीर बाणों से घिरा हुआ था। उस अवस्था में, जैसे ही उन्होंने उस जड़ी-बूटी को सूँघा, उनके शरीर से सभी बाण निकल गए और वे स्वस्थ होकर तुरंत जमीन पर से उठ खड़े हुए। ॥ ४५॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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