वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 100: राम और रावण का युद्ध, रावण की शक्ति से लक्ष्मण का मूर्च्छित होना तथा रावण का युद्ध से भागना
»
श्लोक 56
श्लोक
6.100.56
अद्य कर्म करिष्यामि यल्लोका: सचराचरा:।
सदेवा: कथयिष्यन्ति यावद् भूमिर्धरिष्यति।
समागम्य सदा लोके यथा युद्धं प्रवर्तितम्॥ ५६॥
अनुवाद
play_arrowpause
आज मैं ऐसा पराक्रम दिखाऊँगा कि जब तक यह पृथ्वी बनी रहेगी, तब तक सभी प्राणी और देवता भी हमेशा लोक में एकत्र होकर चर्चा करेंगे और जिस तरह से युद्ध हुआ है, उसे एक-दूसरे से कहेंगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.