श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 100: राम और रावण का युद्ध, रावण की शक्ति से लक्ष्मण का मूर्च्छित होना तथा रावण का युद्ध से भागना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  6.100.26 
 
 
कीर्यमाण: शरौघेण विसृष्टेन महात्मना।
न प्रहर्तुं मनश्चक्रे विमुखीकृतविक्रम:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  महात्मा लक्ष्मण के छोड़े हुए बाणों की बौछार से रावण पराक्रम से विमुख हो गया। उसने अपने भाई को मारने की इच्छा त्याग दी और अब उसमें प्रहार करने की इच्छा नहीं रही।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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