श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 9: हनुमान जी का रावण के श्रेष्ठ भवन पुष्पक विमान तथा रावण के रहने की सुन्दर हवेली को देखकर उसके भीतर सोयी हुई सहस्रों सुन्दरी स्त्रियों का अवलोकन करना  »  श्लोक 70
 
 
श्लोक  5.9.70 
 
 
न तत्र काश्चित् प्रमदा: प्रसह्य
वीर्योपपन्नेन गुणेन लब्धा:।
न चान्यकामापि न चान्यपूर्वा
विना वरार्हां जनकात्मजां तु॥ ७०॥
 
 
अनुवाद
 
  वहाँ ऐसी कोई स्त्रियाँ नहीं थीं जिन्हें बल-पराक्रम से संपन्न होने के बावजूद भी रावण अपनी इच्छा के विरुद्ध बलात् हर कर लाया हो। वे सब अपनी इच्छा से ही रावण को उपलब्ध हुई थीं। वहां जनककिशोरी सीता को छोड़कर कोई ऐसी स्त्री नहीं थी जो रावण के अलावा किसी दूसरे की इच्छा रखने वाली हो अथवा जिसका पहले कोई दूसरा पति रहा हो।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.