श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 9: हनुमान जी का रावण के श्रेष्ठ भवन पुष्पक विमान तथा रावण के रहने की सुन्दर हवेली को देखकर उसके भीतर सोयी हुई सहस्रों सुन्दरी स्त्रियों का अवलोकन करना  »  श्लोक 60
 
 
श्लोक  5.9.60 
 
 
अन्या वक्षसि चान्यस्यास्तस्या: काचित् पुनर्भुजम्।
अपरा त्वङ्कमन्यस्यास्तस्याश्चाप्यपरा कुचौ॥ ६०॥
 
 
अनुवाद
 
  एक नारी दूसरी के सीने पर अपना सिर रखकर सो गई और तीसरी नारी ने दूसरी के एक हाथ को तकिया बनाकर आराम किया। इसी तरह एक अन्य नारी ने दूसरी की गोद में अपना सिर रखकर सो लिया और चौथी नारी ने दूसरी के स्तनों को अपना तकिया बना लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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