श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 9: हनुमान जी का रावण के श्रेष्ठ भवन पुष्पक विमान तथा रावण के रहने की सुन्दर हवेली को देखकर उसके भीतर सोयी हुई सहस्रों सुन्दरी स्त्रियों का अवलोकन करना  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  5.9.59 
 
 
बाहूनुपनिधायान्या: पारिहार्यविभूषितान्।
अंशुकानि च रम्याणि प्रमदास्तत्र शिश्यिरे॥ ५९॥
 
 
अनुवाद
 
  अन्य नशे में चूर युवतियाँ अपनी वलयों से सजी भुजाओं को ही अपना तकिया बनाकर लेटी थीं, और कुछ तो अपने सुन्दर वस्त्रों को सिर के नीचे रखकर वहाँ सो रही थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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