श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 9: हनुमान जी का रावण के श्रेष्ठ भवन पुष्पक विमान तथा रावण के रहने की सुन्दर हवेली को देखकर उसके भीतर सोयी हुई सहस्रों सुन्दरी स्त्रियों का अवलोकन करना  »  श्लोक 53
 
 
श्लोक  5.9.53 
 
 
अंशुकान्ताश्च कासांचिन्मुखमारुतकम्पिता:।
उपर्युपरि वक्त्राणां व्याधूयन्ते पुन: पुन:॥ ५३॥
 
 
अनुवाद
 
  कुछ लोगों के मुख पर उनकी झीनी साड़ी की पल्लू, उनकी नासिका से निकली हुई साँस से काँपकर बार-बार फड़फड़ा रही थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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