वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 9: हनुमान जी का रावण के श्रेष्ठ भवन पुष्पक विमान तथा रावण के रहने की सुन्दर हवेली को देखकर उसके भीतर सोयी हुई सहस्रों सुन्दरी स्त्रियों का अवलोकन करना
»
श्लोक 53
श्लोक
5.9.53
अंशुकान्ताश्च कासांचिन्मुखमारुतकम्पिता:।
उपर्युपरि वक्त्राणां व्याधूयन्ते पुन: पुन:॥ ५३॥
अनुवाद
play_arrowpause
कुछ लोगों के मुख पर उनकी झीनी साड़ी की पल्लू, उनकी नासिका से निकली हुई साँस से काँपकर बार-बार फड़फड़ा रही थी।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.