श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 9: हनुमान जी का रावण के श्रेष्ठ भवन पुष्पक विमान तथा रावण के रहने की सुन्दर हवेली को देखकर उसके भीतर सोयी हुई सहस्रों सुन्दरी स्त्रियों का अवलोकन करना  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  5.9.48 
 
 
चन्द्रांशुकिरणाभाश्च हारा: कासांचिदुद‍्गता:।
हंसा इव बभु: सुप्ता: स्तनमध्येषु योषिताम्॥ ४८॥
 
 
अनुवाद
 
  चंद्रमा और सूर्य की किरणों से प्रकाशित होने वाले हार कुछ युवतियों के वक्षःस्थल पर इस तरह से पड़े हुए थे कि वे उभरे हुए दिख रहे थे। वे उन स्तनों पर ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो वे सफेद हंस हों जो वहां सो रहे हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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