श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 9: हनुमान जी का रावण के श्रेष्ठ भवन पुष्पक विमान तथा रावण के रहने की सुन्दर हवेली को देखकर उसके भीतर सोयी हुई सहस्रों सुन्दरी स्त्रियों का अवलोकन करना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  5.9.14 
 
 
मेरुमन्दरसंकाशैरुल्लिखद्भिरिवाम्बरम्।
कूटागारै: शुभागारै: सर्वत: समलंकृतम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  मेरु और मन्दराचल के समान ऊँचे और भव्य गुप्त गृह और मंगल भवन बनाए गए थे, जो अपनी ऊँचाई से आकाश में रेखा-सी खींचते हुए प्रतीत होते थे। उनके द्वारा वह विमान हर तरफ से सजा हुआ और सुंदर लगता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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