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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 68: हनुमान जी का सीता के संदेह और अपने द्वारा उनके निवारण का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 19
श्लोक
5.68.19
येषां नोपरि नाधस्तान्न तिर्यक् सज्जते गति:।
न च कर्मसु सीदन्ति महत्स्वमिततेजस:॥ १९॥
अनुवाद
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ये वानर जिनके ऊपर और नीचे, सामने और पीछे, बगल में कहीं भी गति नहीं रुकती है वे बड़े-से-बड़े कार्य आ पड़ने पर भी कभी नहीं थकते हैं और न ही हार मानते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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