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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 68: हनुमान जी का सीता के संदेह और अपने द्वारा उनके निवारण का वृत्तान्त बताना
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श्लोक 15
श्लोक
5.68.15
तद् यथा तस्य विक्रान्तमनुरूपं महात्मन:।
भवत्याहवशूरस्य तथा त्वमुपपादय॥ १५॥
अनुवाद
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महात्मा श्रीराम युद्ध में अपनी वीरता दिखाएंगे, इसलिए तुम ऐसा उपाय करो, जिससे उनकी वीरता के अनुरूप पराक्रम प्रकट हो सके।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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