श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 68: हनुमान जी का सीता के संदेह और अपने द्वारा उनके निवारण का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  5.68.13 
 
 
यथाहं तस्य वीरस्य वनादुपधिना हृता।
रक्षसा तद्भयादेव तथा नार्हति राघव:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसा कि रावण ने वीर भगवान श्रीराम के डर की वजह से ही उनके सामने आने के बजाय छलपूर्वक वन से मेरा अपहरण किया था, इसी तरह श्रीरघुनाथ जी को मुझे बिना युद्ध करे नहीं ले जाना चाहिए (वे रावण को मारकर ही मुझे ले चलें)।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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