श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 67: हनुमान जी का भगवान् श्रीराम को सीता का संदेश सुनाना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  5.67.9 
 
 
निरीक्षमाण: सहसा वायसं समुदैक्षथा:।
नखै: सरुधिरैस्तीक्ष्णैस्तामेवाभिमुखं स्थितम्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  देखते ही देखते आपने जब इधर-उधर दृष्टि डाली, तो उस कौए को देखा। उसके पंजे खून से लथपथ थे और वह सीता माता की ओर ही मुँह किए बैठा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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