श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 67: हनुमान जी का भगवान् श्रीराम को सीता का संदेश सुनाना  »  श्लोक 40-41
 
 
श्लोक  5.67.40-41 
 
 
इत्येवं सा समाभाष्य भूय: संदेष्टुमास्थिता॥ ४०॥
हनूमन् सिंहसंकाशौ तावुभौ रामलक्ष्मणौ।
सुग्रीवं च सहामात्यं सर्वान् ब्रूया अनामयम्॥ ४१॥
 
 
अनुवाद
 
  हां, निःसंदेह! इस प्रकार कहकर वह मुझे पुनः संदेश देने लगी- हे हनुमान! सिंह के समान पराक्रमी वे दोनों भाई श्रीराम और लक्ष्मण, मंत्रियों सहित सुग्रीव और अन्य सभी लोगों से भी मेरा कुशल-समाचार कहना और उनका पूछना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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