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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 67: हनुमान जी का भगवान् श्रीराम को सीता का संदेश सुनाना
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श्लोक 14
श्लोक
5.67.14
भीतैश्च सम्परित्यक्त: सुरै: सर्वैश्च वायस:।
त्रीँल्लोकान् सम्परिक्रम्य त्रातारं नाधिगच्छति॥ १४॥
अनुवाद
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सभी देवता आपके भय से डर गए और उन्होंने उस कौए को त्याग दिया। वह तीनों लोकों में घूमता रहा, लेकिन उसे कोई रक्षक नहीं मिला।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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