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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 67: हनुमान जी का भगवान् श्रीराम को सीता का संदेश सुनाना
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श्लोक 10
श्लोक
5.67.10
सुत: किल स शक्रस्य वायस: पततां वर:।
धरान्तरगत: शीघ्रं पवनस्य गतौ सम:॥ १०॥
अनुवाद
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सुना है, इन्द्र का पुत्र जो कौआ था, वह उड़ने वालों में सर्वश्रेष्ठ था। उन दिनों वह पृथ्वी पर विचर रहा था। वह वायु देवता के समान शीघ्रगामी था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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