श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 66: चूडामणि को देखकर और सीता का समाचार पाकर श्रीराम का उनके लिए विलाप  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  5.66.5 
 
 
अयं हि जलसम्भूतो मणि: प्रवरपूजित:।
यज्ञे परमतुष्टेन दत्त: शक्रेण धीमता॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  जल से प्रगट हुई यह मणि श्रेष्ठ देवताओं द्वारा पूजी जाती है। किसी यज्ञ में बहुत प्रसन्न हुए बुद्धिमान इंद्र ने राजा जनक को यह मणि प्रदान की थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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