श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 66: चूडामणि को देखकर और सीता का समाचार पाकर श्रीराम का उनके लिए विलाप  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  5.66.15 
 
 
मधुरा मधुरालापा किमाह मम भामिनी।
मद्विहीना वरारोहा हनुमन् कथयस्व मे।
दु:खाद् दु:खतरं प्राप्य कथं जीवति जानकी॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  हे हनुमान! मेरी प्रियतमा सीता, जिसकी कमर सुंदर है और वाणी मधुर है, मेरे लिए कौन-सा संदेश भेजा है? वह मेरे बिना दुख पर दुख उठाकर भी कैसे जीवित है?
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे षट्षष्टितम: सर्ग:॥ ६६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें छाछठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ६६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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