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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 63: दधिमुख से मधुवन के विध्वंस का समाचार सुनकर सुग्रीव का हनुमान् आदि वानरों की सफलता के विषय में अनुमान
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श्लोक 29-30h
श्लोक
5.63.29-30h
श्रुत्वा दधिमुखस्यैवं सुग्रीवस्तु प्रहृष्य च॥ २९॥
वनपालं पुनर्वाक्यं सुग्रीव: प्रत्यभाषत।
अनुवाद
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दधिमुख की बातें सुनकर सुग्रीव बहुत खुश हुए। उन्होंने अपने वनरक्षक को जवाब दिया-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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