श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 63: दधिमुख से मधुवन के विध्वंस का समाचार सुनकर सुग्रीव का हनुमान् आदि वानरों की सफलता के विषय में अनुमान  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  5.63.12 
 
 
एवमेते हता: शूरास्त्वयि तिष्ठति भर्तरि।
कृत्स्नं मधुवनं चैव प्रकामं तैश्च भक्ष्यते॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘प्रभो! आप-जैसे स्वामीके रहते हुए ये शूरवीर वनरक्षक उनके द्वारा इस तरह मारे-पीटे गये हैं और वे अपराधी वानर अपनी इच्छाके अनुसार सारे मधुवनका उपभोग कर रहे हैं’॥ १२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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