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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 63: दधिमुख से मधुवन के विध्वंस का समाचार सुनकर सुग्रीव का हनुमान् आदि वानरों की सफलता के विषय में अनुमान
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श्लोक 10
श्लोक
5.63.10
ततस्तैर्बहुभिर्वीरैर्वानरैर्वानरर्षभा:।
संरक्तनयनै: क्रोधाद्धरय: सम्प्रधर्षिता:॥ १०॥
अनुवाद
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विपुल संख्या में वीर वानरों ने क्रोध से उनकी आँखें लाल हो गईं और उन्होंने वन की रक्षा करने वाले श्रेष्ठ वानरों को पकड़ कर मारना शुरू कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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