श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 62: वानरों द्वारा मधुवन के रक्षकों और दधिमुख का पराभव तथा सेवकों सहितदधिमुख का सुग्रीव के पास जाना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  5.62.34 
 
 
एवमुक्त्वा दधिमुखो वनपालान् महाबल:।
जगाम सहसोत्पत्य वनपालै: समन्वित:॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  वन के रक्षकों से इस प्रकार कहकर महाबली दधिमुख ने अचानक उछलकर आकाश मार्ग से प्रस्थान किया। वे वनपालों के साथ चल पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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