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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 62: वानरों द्वारा मधुवन के रक्षकों और दधिमुख का पराभव तथा सेवकों सहितदधिमुख का सुग्रीव के पास जाना
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श्लोक 18
श्लोक
5.62.18
तदा दधिमुख: क्रुद्धो वनपस्तत्र वानर:।
हतं मधुवनं श्रुत्वा सान्त्वयामास तान् हरीन्॥ १८॥
अनुवाद
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तब उस वन के प्रधान रक्षक दधिमुख नामक वानर ने मधुवन के विध्वंस का समाचार सुनकर क्रोधित होकर वहाँ मौजूद वानरों को सान्त्वना देते हुए कहा-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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