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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 62: वानरों द्वारा मधुवन के रक्षकों और दधिमुख का पराभव तथा सेवकों सहितदधिमुख का सुग्रीव के पास जाना
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श्लोक 14
श्लोक
5.62.14
हरयो मधुना मत्ता: केचित् सुप्ता महीतले।
धृष्टा: केचिद्धसन्त्यन्ये केचित् कुर्वन्ति चेतरत्॥ १४॥
अनुवाद
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कई बंदर शहद के नशे में चूर होकर पृथ्वी पर सो गए थे। कुछ ढीठ बंदर हंस रहे थे और कुछ रो रहे थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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