हम श्री रामचंद्र जी के पास लौट चलें। रास्ते में निशाचर सहित लंका को जीतें, युद्ध में रावण को मारें और सीता जी को साथ लेते हुए। हमलोग लङ्का को राक्षसों के साथ जीत करके और रावण को युद्ध में मारकर, सीता को साथ लेते हुए सफल-मनोरथ और प्रसन्नचित्त होकर श्रीरामचंद्रजी के पास वापस चलें।