श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 60: अङ्गद का लङ्का को जीतकर सीता को ले आने का उत्साहपूर्ण विचार और जाम्बवान् के द्वारा उसका निवारण  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  5.60.10 
 
 
जित्वा लङ्कां सरक्षौघां हत्वा तं रावणं रणे।
सीतामादाय गच्छाम: सिद्धार्था हृष्टमानसा:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  हम श्री रामचंद्र जी के पास लौट चलें। रास्ते में निशाचर सहित लंका को जीतें, युद्ध में रावण को मारें और सीता जी को साथ लेते हुए। हमलोग लङ्का को राक्षसों के साथ जीत करके और रावण को युद्ध में मारकर, सीता को साथ लेते हुए सफल-मनोरथ और प्रसन्नचित्त होकर श्रीरामचंद्रजी के पास वापस चलें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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