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श्लोक 5.59.32  |
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एवमास्ते महाभागा सीता शोकपरायणा।
यदत्र प्रतिकर्तव्यं तत् सर्वमुपकल्प्यताम्॥ ३२॥ |
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अनुवाद |
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इस प्रकार, हे महानुभावों, सीता सदैव शोक में डूबी रहती हैं। अतः इस समय जो भी उपाय करना हो, वह आप सभी शीघ्रता से करें। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे एकोनषष्टितम: सर्ग:॥ ५९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें उनसठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५९॥ |
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