श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  5.59.29 
 
 
रामसुग्रीवसख्यं च श्रुत्वा प्रीतिमुपागता।
नियत: समुदाचारो भक्तिर्भर्तरि चोत्तमा॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  राम और सुग्रीव की मित्रता की बात सुनकर उन्हें बहुत खुशी हुई। सीताजी का चरित्र बहुत मजबूत और सात्विक है। अपने पति के प्रति उनका दिल बहुत भावुक है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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