वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना
»
श्लोक 29
श्लोक
5.59.29
रामसुग्रीवसख्यं च श्रुत्वा प्रीतिमुपागता।
नियत: समुदाचारो भक्तिर्भर्तरि चोत्तमा॥ २९॥
अनुवाद
play_arrowpause
राम और सुग्रीव की मित्रता की बात सुनकर उन्हें बहुत खुशी हुई। सीताजी का चरित्र बहुत मजबूत और सात्विक है। अपने पति के प्रति उनका दिल बहुत भावुक है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.