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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना
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श्लोक 28
श्लोक
5.59.28
कथंचिन्मृगशावाक्षी विश्वासमुपपादिता।
तत: सम्भाषिता चैव सर्वमर्थं प्रकाशिता॥ २८॥
अनुवाद
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मैंने मेरी मृगनयनी सीता को किसी तरह विश्वास दिलाया। तब उनसे बात की और पूरी बात उन्हें बताई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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