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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना
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श्लोक 27
श्लोक
5.59.27
अध:शय्या विवर्णाङ्गी पद्मिनीव हिमोदये।
रावणाद् विनिवृत्तार्था मर्तव्यकृतनिश्चया॥ २७॥
अनुवाद
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वे ज़मीन पर सोई हैं। हेमन्त ऋतु में कमलिनी की तरह उनके शरीर का तेज फीका पड़ गया है। रावण से उनका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने जान देकर ही दम लेने का निश्चय कर लिया है॥ २७॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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