श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  5.59.24 
 
 
अनुरक्ता हि वैदेही रामे सर्वात्मना शुभा।
अनन्यचित्ता रामेण पौलोमीव पुरन्दरे॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  कल्याणी सीता श्रीराम से पूरे हृदय से अनुराग रखती हैं, ठीक वैसे ही जैसे देवी शची देवराज इंद्र से एकनिष्ठ प्रेम रखती हैं। सीता का मन सदा-सर्वदा श्रीराम के ही चिन्तन में लगा रहता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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