वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना
»
श्लोक 24
श्लोक
5.59.24
अनुरक्ता हि वैदेही रामे सर्वात्मना शुभा।
अनन्यचित्ता रामेण पौलोमीव पुरन्दरे॥ २४॥
अनुवाद
play_arrowpause
कल्याणी सीता श्रीराम से पूरे हृदय से अनुराग रखती हैं, ठीक वैसे ही जैसे देवी शची देवराज इंद्र से एकनिष्ठ प्रेम रखती हैं। सीता का मन सदा-सर्वदा श्रीराम के ही चिन्तन में लगा रहता है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.