श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  5.59.23 
 
 
अचिन्तयन्ती वैदेही रावणं बलदर्पितम्।
पतिव्रता च सुश्रोणी अवष्टब्धा च जानकी॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  विदेह नन्दिनी जानकी की सुंदर कटि है और वह पतिव्रता हैं। वे बल के घमंड में भरे रावण को कुछ नहीं समझतीं, लेकिन फिर भी वे उसी की कैद में पड़ी हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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