श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 19-20
 
 
श्लोक  5.59.19-20 
 
 
जयत्यतिबलो रामो लक्ष्मणश्च महाबल:।
राजा जयति सुग्रीवो राघवेणाभिपालित:॥ १९॥
अहं कोसलराजस्य दास: पवनसम्भव:।
हनूमानिति सर्वत्र नाम विश्रावितं मया॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  जयति अत्यंत बलशाली राम तथा महाबलशाली लक्ष्मण! रघुनाथ जी द्वारा रक्षित राजा सुग्रीव की भी जय हो। मैं कोसल नरेश श्री रामचंद्र जी का दास तथा वायुदेव का पुत्र हूं। मेरा नाम हनुमान है - इस प्रकार मैंने हर जगह अपना नाम घोषित कर दिया है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.