जयत्यतिबलो रामो लक्ष्मणश्च महाबल:।
राजा जयति सुग्रीवो राघवेणाभिपालित:॥ १९॥
अहं कोसलराजस्य दास: पवनसम्भव:।
हनूमानिति सर्वत्र नाम विश्रावितं मया॥ २०॥
अनुवाद
जयति अत्यंत बलशाली राम तथा महाबलशाली लक्ष्मण! रघुनाथ जी द्वारा रक्षित राजा सुग्रीव की भी जय हो। मैं कोसल नरेश श्री रामचंद्र जी का दास तथा वायुदेव का पुत्र हूं। मेरा नाम हनुमान है - इस प्रकार मैंने हर जगह अपना नाम घोषित कर दिया है।