श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  5.59.18 
 
 
मयैव निहता लङ्का दग्धा भस्मीकृता पुरी।
राजमार्गेषु सर्वेषु नाम विश्रावितं मया॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘मैंने अकेले ही लङ्कावासियोंको मार गिराया, नगरमें आग लगा दी और सारी पुरीको जलाकर भस्म कर दिया। इतना ही नहीं, वहाँकी सब सड़कोंपर मैंने अपने नामका डंका पीट दिया॥ १८॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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