श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 59: हनुमान जी का सीता की दुरवस्था बताकर वानरों को लङ्का पर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित करना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  5.59.17 
 
 
अश्विपुत्रौ महावेगावेतौ प्लवगसत्तमौ।
एतयो: प्रतियोद्धारं न पश्यामि रणाजिरे॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  यह दोनों वानर श्रेष्ठ अति वेग वाले हैं और अश्विनीकुमारों के पुत्र हैं। मैं युद्ध के मैदान में इन दोनों का सामना करने वाला कोई नहीं देख रहा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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