श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 58: जाम्बवान् के पूछने पर हनुमान जी का अपनी लङ्का यात्रा का सारा वृत्तान्त सुनाना  »  श्लोक 129-130h
 
 
श्लोक  5.58.129-130h 
 
 
महतापि महाबाहु: प्रत्ययेन महाबल:॥ १२९॥
प्रहितो रावणेनैष सह वीरैर्मदोद्धतै:।
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने इस विशालकाय, लंबी भुजाओं वाले, अत्यधिक शक्तिशाली वीर को अनेक मदमस्त योद्धाओं के साथ पूर्ण विश्वास के साथ भेजा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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