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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 57: हनुमान जी का समद्र को लाँघकर जाम्बवान् और अङ्गद आदि सुहृदों से मिलना
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श्लोक 27
श्लोक
5.57.27
गिरिगह्वरसंलीनो यथा गर्जति मारुत:।
एवं जगर्ज बलवान् हनूमान् मारुतात्मज:॥ २७॥
अनुवाद
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जैसे पर्वत की गुफाओं में फँसी हुई वायु बहुत तेज़ आवाज़ करती है, उसी प्रकार बलशाली पवनकुमार हनुमान गर्जने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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