श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 57: हनुमान जी का समद्र को लाँघकर जाम्बवान् और अङ्गद आदि सुहृदों से मिलना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  5.57.24 
 
 
तस्य बाहूरुवेगं च निनादं च महात्मन:।
निशम्य हरयो हृष्टा: समुत्पेतुर्यतस्तत:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  महात्मा हनुमान जी की भुजाओं और जाँघों की बड़ी वेगवती गति को देखकर और सिंह के समान गरजने की ध्वनि सुनकर सभी वानर आनंद से भर गए और इधर-उधर उछलने-कूदने लगे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.