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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 57: हनुमान जी का समद्र को लाँघकर जाम्बवान् और अङ्गद आदि सुहृदों से मिलना
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श्लोक 22
श्लोक
5.57.22
जाम्बवान् स हरिश्रेष्ठ: प्रीतिसंहृष्टमानस:।
उपामन्त्र्य हरीन् सर्वानिदं वचनमब्रवीत्॥ २२॥
अनुवाद
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वानरों में श्रेष्ठ जाम्बवान का मन प्रसन्नता से भर गया। वे खुशी से खिल उठे और सभी वानरों को पास बुलाकर इस प्रकार बोले-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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