श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 56: हनुमान जी का पुनः सीताजी से मिलकर लौटना और समुद्र को लाँघना  »  श्लोक 7-8
 
 
श्लोक  5.56.7-8 
 
 
अयं च वीर संदेहस्तिष्ठतीव ममाग्रत:।
सुमहत्सु सहायेषु हर्यृक्षेषु महाबल:॥ ७॥
कथं नु खलु दुष्पारं संतरिष्यति सागरम्।
तानि हर्यृक्षसैन्यानि तौ वा नरवरात्मजौ॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर! ऐसे महान वानर और भालू-सैनिकों के साथ होते हुए भी महाबली सुग्रीव इस दुर्गम समुद्र को कैसे पार करेंगे, यह संदेह मेरे मन में बना हुआ है। उनकी सेना और श्रीराम और लक्ष्मण कैसे इस महासागर को पार कर पाएँगे?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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