श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 56: हनुमान जी का पुनः सीताजी से मिलकर लौटना और समुद्र को लाँघना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  5.56.6 
 
 
अदर्शनं च ते वीर भूयो मां दारयिष्यति।
दु:खाद् दु:खतरं प्राप्तां दुर्मन:शोककर्शिताम्॥ ६॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर! दुःखों ने मुझे घेर लिया है। मैं मानसिक पीड़ा से दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही हूँ। अब तुम्हारा न मिलना मेरे हृदय को और भी तोड़ देगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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