श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 56: हनुमान जी का पुनः सीताजी से मिलकर लौटना और समुद्र को लाँघना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  5.56.4 
 
 
मम चैवाल्पभाग्याया: सांनिध्यात् तव वानर।
शोकस्यास्याप्रमेयस्य मुहूर्तं स्यादपि क्षय:॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  हे श्रेष्ठ वानर! तुम्हारे निकट रहने से मेरे अपार दुःख में क्षणभर के लिए भी कमी आ जाएगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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