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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 56: हनुमान जी का पुनः सीताजी से मिलकर लौटना और समुद्र को लाँघना
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श्लोक 11
श्लोक
5.56.11
काममस्य त्वमेवैक: कार्यस्य परिसाधने।
पर्याप्त: परवीरघ्न यशस्यस्ते फलोदय:॥ ११॥
अनुवाद
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कपिसैन्य के श्रेष्ठ! निश्चित ही शत्रुवीरों के संहार में तुम अकेले ही पूर्ण समर्थ हो। इसमें कोई संदेह नहीं है। परंतु इस कार्य को करने से तुम्हारा ही यश बढ़ेगा, भगवान श्रीराम का नहीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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