श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 56: हनुमान जी का पुनः सीताजी से मिलकर लौटना और समुद्र को लाँघना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  5.56.1 
 
 
ततस्तु शिंशपामूले जानकीं पर्यवस्थिताम्।
अभिवाद्याब्रवीद् दिष्टॺा पश्यामि त्वामिहाक्षताम्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनन्तर हनुमान जी अशोक वृक्ष के नीचे विराजित जानकीजी के पास गए और उन्हें प्रणाम करके कहा - देवी, मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि आज मैं आपको सकुशल देख रहा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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