वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 56: हनुमान जी का पुनः सीताजी से मिलकर लौटना और समुद्र को लाँघना
»
श्लोक 1
श्लोक
5.56.1
ततस्तु शिंशपामूले जानकीं पर्यवस्थिताम्।
अभिवाद्याब्रवीद् दिष्टॺा पश्यामि त्वामिहाक्षताम्॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
तदनन्तर हनुमान जी अशोक वृक्ष के नीचे विराजित जानकीजी के पास गए और उन्हें प्रणाम करके कहा - देवी, मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि आज मैं आपको सकुशल देख रहा हूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.