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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 55: सीताजी के लिये हनुमान् जी की चिन्ता और उसका निवारण
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श्लोक 8
श्लोक
5.55.8
यदि दग्धा त्वियं सर्वा नूनमार्यापि जानकी।
दग्धा तेन मया भर्तुर्हतं कार्यमजानता॥ ८॥
अनुवाद
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‘यदि सम्पूर्ण लंका जल गई तो आर्या जानकी भी निश्चित रूप से उसमें जल गई होंगी | ऐसा करके मैंने अनजाने में अपने स्वामी का सारा काम बर्बाद कर दिया |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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