स निमित्तैश्च दृष्टार्थै: कारणैश्च महागुणै:।
ऋषिवाक्यैश्च हनुमानभवत् प्रीतमानस:॥ ३४॥
अनुवाद
श्री राम ने कई बार शुभ शकुनों और महान् गुणों वाले कारणों का प्रत्यक्ष अनुभव किया। उन्होंने चारणों के कहे हुए पूर्वोक्त वचनों पर भी विचार किया। इन सब बातों से उन्होंने निश्चय किया कि सीता जी जीवित हैं। इस निश्चय से हनुमान जी के मन में बहुत प्रसन्नता हुई।