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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 55: सीताजी के लिये हनुमान् जी की चिन्ता और उसका निवारण
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श्लोक 23
श्लोक
5.55.23
नहि धर्मात्मनस्तस्य भार्याममिततेजस:।
स्वचरित्राभिगुप्तां तां स्प्रष्टुमर्हति पावक:॥ २३॥
अनुवाद
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सीता अत्यंत तेजस्वी और धर्मात्मा भगवान श्री राम की पत्नी हैं। वे अपने अच्छे चरित्र और पतिव्रता धर्म के प्रभाव से सुरक्षित हैं। अग्नि भी उन्हें छू नहीं सकती।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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