वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 55: सीताजी के लिये हनुमान् जी की चिन्ता और उसका निवारण
»
श्लोक 22
श्लोक
5.55.22
अथ वा चारुसर्वाङ्गी रक्षिता स्वेन तेजसा।
न नशिष्यति कल्याणी नाग्निरग्नौ प्रवर्तते॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
अथवा सम्भव है कि चारु सर्वाङ्गी सीता अपने ही तेज से सुरक्षित हों। कल्याणी जनकनन्दिनी का नाश कदापि नहीं होगा क्योंकि आग आग को नहीं जलाती है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.